यह रात नहीं है सुहानी
कड़ी ठंड पड़ रही है
दफ़न हैं दिल में राज़
खुल जाएँ तो तबाही है
चीरती मुझको ये ज़ालिम हवाएँ चल रहीं
सब्र का यह बाँध टूट गया अभी!
खुलने ना दो दिल का कोई द्वार
जाओ छुपा दो दफना दो सारे राज़
अब कुछ नहीं है मेरे हाथ!
छोड़ दो मुझे आज
जाने दो! जाने दो!
बेड़ियां अब यह खोल दो!
जाने दो! जाने दो!
बंदिशें सब तोड़ आओ
ना परवाह, ना कोई चिंता!
ना रुकूँगी अब
हवा के रुख के संग उड़ जाऊं अब!
आ गई हैं दूरियाँ
कोसों तक दिखे न कोई!
मन में अजब-सा दर था
जम गया अब वो भी
देखूँ, जानूँ, क्या कर पाऊँ!
आत्मविश्वास के संग आगे चल दूँ
न कोई जकड़न न कोई घुटन
आज़ाद!
जाने दो! जाने दो!
क्षितिज को छू जाने दो!
जाने दो! जाने दो!
कोई झिझक ना अब मुझको
हूँ खड़ी, बर्फ़ के बीचों-बीच
ना रुकूँगी अब!
मेरा जीवन है अब तराशा एक हीरा
ताक़त कि क़ैदी थी मैं
पर अब हो गयी रिहा
पड़ गयी थी अकेली पर अब हूँ आज़ाद!
वापस ना मुड़ जाऊं, अतीत तो एक भ्रम था!
जाने दो! जाने दो!
बेड़ियां अब ये खुलने दो
पंछी को, उड़ने दो!
खुला आसमान छूने दो!
जहाँ चाह, वहीं होती राह!
ना रुकूँगी अब!!!!!!!!
रोक सकते हो मुझे तो रोक लो!