मुफासा तो कल का संदेशा हैं
हैं घिसी पिटी काफ़िल सरकार
जिसकी हार का बेशक अंदेशा हैं
हमें नए सपनो की दरकार
अब शेरों का वक्त बदलेगा
तो बदलोगे साथ मेरे तुम
मैंने देखा है कल का जो सपना
वो सपना अब देखोगे तुम
तो आओ मिलकर करे क्रांति
आओ मिटा दे यह शांति
मैं शातिर शिकारी इरादे का पक्का
मैं बरसो की ज़िल्लत का अब लूँगा बदला
मैं राजा महाराजा तो ठोको सलाम
मुझसे ना ऊँचा किसी का भी नाम
हाँ मेरी लालच का खुल्ला बाज़ार
हो तैयार ....(x2)
तैयार.......
हो तैयार...
अपना तो हैं धोके का व्यापार....
हो तैयार....